Akbar aur Birbal ki Kahani
सच्चाई का पता:-
एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा बीरबल तुम हमेशा कहते हो न कि तुम सच का पता लगा सकते हो तो क्या तुम मुझे यह बता सकते हो कि मेरे दरबार में सबसे सच्चा कौन है ?
बीरबल मुस्कराते हुए बोला जहांपनाह यह तो बहुत आसान है। मैं आज ही यह जानने का तरीका आपको बताऊंगा
अकबर ने कहा ठीक है बीरबल मुझे यह जानने की बहुत जिज्ञासा है तुम मुझे बताना की सबसे सच्चा और ईमानदार कौन है
बीरबल ने एक खास योजना बनाई अगले दिन बीरबल ने दरबार में सभी लोगों को बुलाया और कहा आज से हर एक व्यक्ति को एक-एक मोती दिया जाएगा लेकिन ध्यान रहे इस मोती को घर ले जाकर, उसे रातभर किसी भी गहने में बदलने की कोशिश ना करें अगर किसी ने ऐसा किया तो वह व्यक्ति झूठा माना जाएगा।
सब लोग बीरबल की बात को सुनकर मुस्कराए और फिर अपने-अपने मोती लेकर घर चले गए।
अगले दिन सभी लोग वापस दरबार में पहुंचे। बीरबल ने सबसे पूछा क्या अपने मोती को बिना किसी बदलाव के रखा ?
सभी लोग सिर झुका कर बोले जी हां हमने कुछ नहीं किया।
लेकिन एक व्यक्ति जो दरबार में कुछ समय से काम कर रहा था, उसने डरते हुए कहा बीरबल जी मैंने मोती को तोड़ने की कोशिश की लेकिन वह टूट नहीं पाया फिर मैंने उसे एक दूसरे मोती में बदलने की कोशिश की पर वह भी नहीं हुआ।
बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा यह बात साफ है कि तुमने सच नहीं कहा क्योंकि तुमने मोती के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की। अब तुमको अपनी सजा मिलेगी।
अकबर ने बीरबल की समझदारी की सराहना की और कहा बीरबल तुमने हमें यह सिखा दिया कि झूठ कभी छिप नहीं सकता। सच्चाई हमेशा सामने आ जाती है।
सीख:-
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि सच हमेशा सामने आता है और सच्चाई को छुपाने का कोई मतलब नहीं होता।
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