खोया हुआ सपना: एक प्रेरणादायक हिंदी कहानी
कहानी का सार" / "क्यों पढ़ें यह कहानी ?
सर्दियों की एक ठंडी सुबह थी। कोहरा इतना घना था कि गाँव की गलियाँ भी धुंधली सी लग रही थीं। रामू, एक साधारण सा लड़का, अपने पुराने साइकिल पर सवार होकर स्कूल जा रहा था। उसकी आँखों में एक चमक थी, जो शायद उस सपने की थी जो उसने रात को देखा था। सपने में वो एक बड़ा अफसर बन गया था—सूट-बूट में, गाँव वालों की मदद करते हुए। लेकिन सपने तो सपने होते हैं, और रामू की हकीकत उससे बिल्कुल उलट थी।
रामू का परिवार गरीब था। पिता खेतों में मजदूरी करते, और माँ घर-घर जाकर बर्तन साफ करती। स्कूल की फीस भरना भी उनके लिए मुश्किल था, लेकिन रामू पढ़ाई में तेज था। उसकी टीचर, शांति मैडम, हमेशा कहती, "रामू, तुममें कुछ खास है। मेहनत करो, दुनिया बदल दो।" ये बातें रामू के दिल में घर कर गई थीं।Link
एक दिन स्कूल में नोटिस लगा—जिला स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता होने वाली थी। विजेता को स्कॉलरशिप मिलेगी। रामू के लिए ये मौका सुनहरा था। उसने दिन-रात तैयारी की। पुरानी किताबों से नोट्स बनाए, गाँव के बूढ़े दादाजी से कहानियाँ सुनीं, और अपनी बहन रानी से भाषण का अभ्यास करवाया। रानी हँसते हुए कहती, "भैया, तुम तो सचमुच अफसर जैसे बोलते हो!"
प्रतियोगिता का दिन आया। रामू ने अपनी साइकिल पर पुरानी स्कूल यूनिफॉर्म पहनी और चल पड़ा। मंच पर पहुँचते ही उसकी साँसें तेज हो गईं। बड़े-बड़े स्कूलों के बच्चे वहाँ थे—अंग्रेजी में बोलते, आत्मविश्वास से भरे। रामू ने सोचा, "मैं इनसे कैसे जीतूँगा?" लेकिन फिर शांति मैडम की बात याद आई। उसने माइक संभाला और हिंदी में बोलना शुरू किया। उसकी आवाज में दर्द था, सपने थे, और एक सच्चाई थी जो सबको छू गई। उसने कहा, "शिक्षा हर बच्चे का हक है, चाहे वो गाँव का हो या शहर का।"
जजों ने तालियाँ बजाईं। रामू को पहला स्थान मिला। स्कॉलरशिप के साथ उसे एक नई उम्मीद मिली। गाँव लौटते वक्त उसकी आँखों में आँसू थे, पर चेहरे पर मुस्कान। उसने ठान लिया कि वो अपने सपने को हकीकत बनाएगा। कोहरे में लिपटा वो गाँव अब उसे पहले से थोड़ा साफ दिखने लगा था।