👉 कंस की कहानी
कंस महाभारत काल में और भारतीय काव्य में भी एक प्रमुख पात्र रहा है जो अपने बुरे कामों के लिए प्रसिद्ध था वह मथुरा के राजा अग्रसेन का पुत्र था और देवकी का भाई था कंस ने कहानी के मात्रा में एक राजा नहीं था
बल्कि वह एक बहुत ही बुरे विचारों वाला व्यक्ति था जो अपने कर्मों का फल भोगने के लिए आया था हम इस लेख में उसके सभी प्रकार के कर्मों के बारे में जानेंगेlink
1.कंस का जन्म
राजा उग्रसेन और रानी पत्रवती की कई सन्तान हुई लेकिन कोई भी जीवित नहीं रह पाया इसी कारण से रानी पत्रवती और राजा उग्रसेन को यह डर था कि उनके साथ कोई अशुभ घटना ना हो जाए किंतु जब कंस का जन्म हुआ तब स्वास्थ्य और जीवित रहा जिसके कारण पूरे राज्य में लहर सी आ गई कंस का जन्म मथुरा में हुआ था
कंस का जन्म के बाद उसे ताकत और अपने ऊपर घमंड था लेकिन उसकी मानसिकता पर बहुत सारी कमियां थी जैसे वह बहुत ही ज्यादा घमंडी और बहुत ही ज्यादा खराब राजा था
2.कंस की ताकत की शुरुआत
कंस की चाल ढाल धीरे-धीरे उसकी अहंकार और ताकत से भरता गया एक दिन जब देवकी अपने पति वासुदेव के साथ एक दिन रथ पर बैठकर कहीं जा रही थी तब कंस ने उन्हें रोक लिया तभी इस दौरान एक भविष्यवाणी हुई की कंस तुम्हारी मृत्यु देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी इतना सुनते ही कंस ने देवकी और वासुदेव को तुरंत कारागार में डाल दिया
कंस को जैसे ही यह पता चला कि उसकी मृत्यु होने वाली है तब उसने कई अच्छे कार्य करना शुरू कर दिया और इसके बाद कंस थोड़ा सा भयभीत हो गया जिसके कारण वह देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और देवकी के प्रत्येक पुत्र को मारना शुरू कर दिया
3.भगवान श्री कृष्ण का आगमन
जब देवकी का आठवां पुत्र का जन्म हुआ तब इस समय वासुदेव ने पुत्र को लेकर के गोकुल के नंद बाबा के यहां छोड़ आए और उनकी बेटी अपने साथ ले आए इसके बाद जब कंस को पता चला कि देवकी के पुत्र हुआ है तब कंस कारागार की ओर गया
और उसको करने के लिए थोड़ा तभी वह लड़की हाथ से छूटकर देवी का रूप ले लिया और देवी ने कहा जिसे तुम मारने आए हो उसने जन्म ले लिया है जो तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेगा
निष्कर्ष:-
कंस का जीवन न केवल महाभारत में है बल्कि वह एक मानवता शिक्षा के रूप में भी जाना जाता है कंस ने अपनी शक्ति और अहंकार के चलते संसार में काफी चीजों को नष्ट किया है और उसका यह अंत यहां यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति को अपनी शक्ति और ताकत का सही उपयोग करना चाहिए कृष्ण के द्वारा कंस को मार देना एक व्यक्ति का नशा नहीं है
बल्कि सत्य और धर्म की विजय का एक प्रतीक भी माना जाता है इस प्रकार कंस का जीवन हमें यह सिखाता है कि बुराई का अंत आवश्यक होता है चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों ना हो