कर्ण का जीवन चरण

🙏 कर्ण का चरित्र और योगदान            

   


 कर्ण का जन्म कर्ण का जीवन महाभारत के सबसे कठिन और प्रेरणादायक जीवन में से एक रहा है कर्ण ने अपनी सारी जिंदगी में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना किया था जिसका जीवन कथा और बहुत सारी कठिनाइयों और बलिदान पर संघर्ष से बीता हुआ हैlink

1.कर्ण का जन्म

कर्ण कुंती का पुत्र है कुंती ने कर्ण को जन्म दिया था जो पांडव की मां थी कुंती ने भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसके कर्ण  का जन्म हुआ था क्योंकि कुंती का तो विवाह ही नहीं हुआ था और वह कर्ण को जन्म दे दिया था जिससे सब लोग उसे ताने ना दें इसलिए कुंती ने अपने पुत्र कर्ण को पानी में बहा दिया

 2.कर्ण की शिक्षा 

कर्ण का बचपन पूरा संघर्ष में ही बीता था उनका पालन पोषण एक शुद्र परिवार में किया गया था कर्ण अस्त्र-शास्त्र की विद्या सीखने में लगा रहता था वह द्रोणाचार्य के पास गया था लेकिन कर्ण छत्रिय नहीं था इसलिए द्रोणाचार्य ने उसे शिक्षा देने से मना कर दिया फिर कर्ण परशुराम के पास गए जो परशुराम ब्राह्मण थे और उन्हें एक महान अस्त्र-शास्त्र के ज्ञाता भी थे शिक्षा लेने के निश्चय किया परशुराम ने कर्ण को युद्ध कला में अच्छा ज्ञान दिया लेकिन जब परशुराम को यह पता चला कि कर्ण छत्रिय नहीं है तब परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया था

3.कर्ण का महान बलिदान

कर्ण के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया महाभारत में एक प्रसिद्ध द्रौपदी स्वयंवर में करण ने पांडवों को अपमानित किया और द्रौपदी को स्वयंवर में हिस्सा लेने का अवसर ही नहीं दिया यह घटना से कारण के जीवन में एक बहुत गहरा प्रभाव और संकट पड़ा

4.कर्ण का पांडवों से विरोध

 विश्वास दिलाया और और दोस्ती में उनके साथ खड़े रहने का वचन लिया इसी कारण से करण ने करो की ओर से युद्ध करने का निश्चय महाभारत के युद्ध से पहले कारण ने दुर्योधन से मित्रता कर ली थी जब कर्ण को यह पता चला

 कि दुर्योधन भी पांडव के साथ है करण ने दुर्योधन के साथ मित्रता और निष्ठा को हमेशा बनाए रखा करने दुर्योधन को हमेशा एक सच्चे मित्र होने काकिया कर्ण का यह निश्चय कठिन था क्योंकि कारण जानता था कि दुर्योधन भी पांडवों का ही एक भाई है इसीलिए और मित्रता निष्ठा और सम्मान से गौरव की पक्ष चुना करण का यह निश्चय एक बहुत ही महत्वपूर्ण मोड़ था करने के जीवन में और उसने एक निश्चित और पूरी ईमानदारी के साथ अपने दोस्त का साथ निभाया

                                


 5.कर्ण का चरित्र 

कर्ण का चरित्र महाभारत के समय बहुत ही ज्यादा अच्छा और मजबूत था कर्ण हमेशा अपने कर्तव्य का पालन के प्रति हमेशा अच्छा और ईमानदार रहता था कर्ण की जब महाभारत में युद्ध हो रहा था तब कर्ण की मृत्यु हुई और मृत्यु के समय कर्ण के अंतिम शब्द यह थे कि मैंने कभी किसी का भी गलत नहीं चाहा है और कर्ण का जीवन बहुत ही ज्यादा संघर्ष में रहा है जन्म से लेकर मृत्यु तक लेकिन वह जीवन में कभी भी हार नहीं माने कर्ण का बलिदान बहुत ही ज्यादा हम सब लोगों को प्रेरणा देता है

6.कर्ण की मृत्यु

महाभारत का जब युद्ध हो रहा था तब कर्ण और अर्जुन आमने-सामने आए यह युद्ध देखने में बहुत ही ज्यादा भयंकर था और कर्ण और अर्जुन दोनों ही की के बीच बहुत ही घमासान युद्ध हुआ कर्ण जब युद्ध कर रहा था तब कर्ण का रथ दलदल में फंस गया है तब इसी समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि अर्जुन यही एक मौका है तुम्हें कर्ण को मारना है तब भगवान कृष्ण ने कर्ण को मारने की आज्ञा दी तब अर्जुन ने तीर चलाया और कर्ण को मार दिया


निष्कर्ष:

कर्ण का जीवन हमें यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी आप स्थिति में हो पर अपनी सच्चाई और कर्तव्य के प्रति आप हमेशा सजक रहे और हमेशा हमें सच्चाई का ही साथ देना चाहिए कर्ण के जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां आई फिर भी कर्ण सत्य और सही का ही साथ दिया है और कर्ण की वीरता और बलिदांता एक मानवता के लिए बहुत अच्छा संदेश है जो जीवन में हर एक व्यक्ति को अपने ऊपर लागू करना चाहिए जो जीवन का ही सत्य है

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.