
सीता और राम की गाथा
राम की जीवन गाथा भारतीय महाकाव्य रामायण और विभिन्न पुराणों में वर्णित एक महत्वपूर्ण कथा है। भगवान राम हिंदू धर्म के महानायक और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजित हैं। वे त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के पुत्र थे। उनका जीवन धर्म, सत्य, और न्याय की स्थापना का आदर्श उदाहरण है।
1.राम का जन्म
भगवान राम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र के रूप में हुआ। दशरथ की तीन रानियाँ थीं
कौशल्या, कैकेयी, और सुमित्रा। राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ और पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया, जिसके फलस्वरूप राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। राम को विष्णु के सातवें अवतार के रूप में माना जाता है।
2.राम की शिक्षा
राम और उनके भाइयों को ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र ने शिक्षा और शस्त्र विद्या प्रदान की। राम ने विश्वामित्र के साथ राक्षसों का वध किया और अहिल्या का उद्धार किया। उनके शौर्य और पराक्रम से ऋषि-मुनि और देवगण अत्यंत प्रसन्न हुए।
सीता स्वयंवर और विवाह
जनकपुर में राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया। राम ने भगवान शिव के धनुष "पिनाक" को तोड़कर स्वयंवर जीता और सीता से विवाह किया। उनके तीन भाइयों का विवाह भी जनक के परिवार की कन्याओं से हुआ।
3.वनवास
राजा दशरथ ने राम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिया, लेकिन कैकेयी की इच्छा के अनुसार राम को 14 वर्षों का वनवास दिया गया। राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वन गए।
4.लंका यात्रा और रावण का वध
वनवास के दौरान, लंका के राजा रावण ने छल से सीता का अपहरण कर लिया। राम ने वानर सेना, हनुमान, सुग्रीव, और विभीषण की सहायता से लंका पर चढ़ाई की। राम और रावण के बीच महान युद्ध हुआ, जिसमें रावण का वध हुआ और धर्म की विजय हुई।
5.अयोध्या वापसी और राज्याभिषेक
14 वर्ष के वनवास और रावण के वध के बाद राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे। अयोध्या में राम का राज्याभिषेक हुआ, जिसे रामराज्य के नाम से जाना जाता है। रामराज्य को आदर्श शासन का प्रतीक माना जाता है।
6.श्री राम जी के संदेश
राम का जीवन धर्म, सत्य, और त्याग का प्रतीक है। वे आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, और आदर्श राजा के रूप में पूजनीय हैं। उनकी गाथा हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी धर्म का पालन करना सर्वोत्तम है