श्रवण कुमार की कहानी
1. श्रवण कुमार का परिवार
श्रवण कुमार के माता-पिता वृद्ध और अंधे थे।
उनका नाम बृहत्कथ और नंदिनी था।
श्रवण कुमार अपनी माता-पिता की देखभाल और सेवा में पूरी तरह से समर्पित थे
2. माता-पिता की सेवा में समर्पण
श्रवण कुमार ने यह निश्चय किया कि वह अपने माता-पिता को हर प्रकार की सुख-सुविधा देंगे
उनके माता-पिता वृद्ध और अंधे होने के कारण यात्रा करने में असमर्थ थे तो श्रवण कुमार उन्हें अपने कंधों पर बैठाकर यात्रा पर ले जाते थे
3. तीर्थ यात्रा पर जाना
एक दिन श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाने के लिए तैयार हुए।
वह उन्हें अपने कंधों पर बैठाकर अलग-अलग तीर्थ स्थलों की यात्रा कर रहे थे।
4. राजा दशरथ का शिकार
राजा दशरथ, जो अयोध्या के सम्राट थे एक दिन शिकार के लिए जंगल में निकले थे
राजा दशरथ का ध्यान शिकार पर था और उन्होंने बिना देखे-बूझे एक बाण चलाया
5. श्रवण कुमार को बाण लगना
राजा दशरथ का बाण श्रवण कुमार को लग गया। बाण के लगते ही श्रवण कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए।
घायल श्रवण कुमार ने राजा से कहा कि वह अपने माता-पिता को पानी देने भेजें क्योंकि वे अंधे और वृद्ध हैं।
6. राजा दशरथ का पछतावा
जब राजा दशरथ को यह एहसास हुआ कि उन्होंने श्रवण कुमार को गलती से मार डाला तो वह अत्यधिक पछताए।
उन्होंने तुरंत श्रवण कुमार से माफी मांगी और उन्हें जीवनदान देने की कोशिश की लेकिन श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई।
7. श्रवण कुमार की मृत्यु
श्रवण कुमार की मृत्यु के बाद, राजा दशरथ ने उनके माता-पिता को यह दुखद समाचार दिया।
श्रवण कुमार के माता-पिता को यह सुनकर गहरा शोक हुआ और उन्होंने राजा दशरथ से बदला लेने की कसम खाई।
8. कहानी का संदेश:-
श्रवण कुमार की कहानी हमें यह सिखाती है कि एक पुत्र को अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य श्रद्धा और सेवा का पालन करना चाहिए।
श्रवण कुमार की कहानी भारतीय संस्कृति में एक प्रेरणा के रूप में जानी जाती है, जो हमें परिवार और माता-पिता के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने का महत्व सिखाती है।