श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रिय और सम्मानित देवता हैं। उनका जीवन रहस्य, चमत्कारों, और गहरी शिक्षाओं से भरा हुआ है। श्री कृष्ण का जीवन और उनके कार्यों के बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं
1. श्री कृष्ण का जन्म
श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। उनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था। देवकी के आठवें पुत्र के रूप में कृष्ण का जन्म हुआ था। एक भविष्यवाणी के अनुसार, कंस को बताया गया था कि देवकी का आठवां पुत्र उसे मारेगा। कंस ने देवकी और वसुदेव को बंदी बना लिया और उनके सभी बच्चों को मारने का आदेश दिया। जब कृष्ण का जन्म हुआ, तब वसुदेव ने कृष्ण को नंद बाबा और यशोदा के घर गोवर्धन गाँव में पहुंचा दिया, श्री कृष्ण ने गोवर्धन में अपनी बचपन की लीला शुरू की।
2.कृष्ण का जीवन और शिक्षाएँ
श्री कृष्ण का जीवन अनेक दिव्य लीलाओं और उपदेशों से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन को एक संतुलित दृष्टिकोण से जीने का संदेश दिया। उनकी प्रमुख शिक्षाएँ थीं
निष्काम कर्म👉 कृष्ण ने बताया कि हमें अपने कार्यों को बिना किसी स्वार्थ के करना चाहिए।
भक्ति का मार्ग👉 कृष्ण ने भक्ति (ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण) को सर्वोत्तम मार्ग बताया।
आत्मज्ञान👉 कृष्ण ने यह भी सिखाया कि आत्मा शाश्वत है और वह मृत्यु के बाद भी अजर-अमर रहती है।
3. कृष्ण की शिक्षाएँ और जीवन के सिद्धांत
कृष्ण ने निष्काम कर्म का महत्व बताया
यानी बिना किसी स्वार्थ के अपने कर्तव्यों को निभाना।
उन्होंने भक्ति का मार्ग बताया, जिसमें पूर्ण समर्पण और प्रेम से भगवान के प्रति आस्था रखी जाए।
कृष्ण ने जीवन के संघर्षों को सहजता से स्वीकारते हुए धर्म कर्म और भक्ति के संतुलित मार्ग पर चलने का उपदेश दिया।
4.बाल्यकाल की चमत्कारी घटनाएँ
पूतना का वध👈👉 पूतना नामक राक्षसी ने कृष्ण को मारने के लिए अपने दूध में विष मिला दिया
लेकिन कृष्ण ने उसे अपना दूध पिला लिया और उसे मौत के घाट उतार दिया।
गोवर्धन पर्वत उठाना👈👊जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों को बारिश के रूप में प्रकोपित किया, तब श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी को बारिश से बचाया।
5.श्री कृष्ण और राधा
कृष्ण और राधा की प्रेम-लीला अत्यधिक प्रसिद्ध है। राधा कृष्ण की सर्वश्रेष्ठ भक्त थीं और उनकी प्रेम कहानी आध्यात्मिक दृष्टि से परमेश्वर और आत्मा के बीच प्रेम के रूप में देखी जाती है। कृष्ण का राधा के साथ प्रेम एक दिव्य संबंध था, जो भक्तों को भक्ति और आत्मसमर्पण के महत्व को समझाता है।
6.महाभारत में श्री कृष्ण का योगदान
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। वह अर्जुन के सारथी बने और कुरुक्षेत्र के युद्ध में उनकी मदद की। युद्ध से पहले, जब अर्जुन को संकोच हुआ और वह अपने परिवार के लोगों से युद्ध करने में हिचकिचा रहे थे, तब श्री कृष्ण ने उन्हें भगवद गीता का उपदेश दिया। गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, भक्ति, और आत्मज्ञान के बारे में गहरी शिक्षा दी। कुछ मुख्य बातें जो गीता में बताई गईं
7.द्रौपदी के चीरहरण का रक्षण
महाभारत के युद्ध से पहले, दुर्योधन ने द्रौपदी का अपमान किया था। द्रौपदी की लाज बचाने के लिए श्री कृष्ण ने उनका रक्षण किया और चीरहरण के दौरान भगवान ने द्रौपदी के वस्त्रों को अनंत रूप से बढ़ा दिया, जिससे उनका अपमान नहीं हो सका।
8.कृष्ण का दैवीय अवसान
महाभारत के युद्ध के बाद, श्री कृष्ण ने द्वारका नगर में निवास किया। एक समय, जब द्वारका में अशांति का माहौल था और कृष्ण के परिवार में कलह होने लगी
तब कृष्ण ने अपना शरीर छोड़ दिया। एक शिकारी जरा ने कृष्ण को गलती से एक तीर मार दिया, जो उनकी मृत्यु का कारण बना। कृष्ण का शरीर इस पृथ्वी से त्याग करने के बाद, उनका दिव्य रूप ब्रह्मा में विलीन हो गया।
9.श्री कृष्ण की शिक्षाएँ
👉 भक्ति भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रेम से जीवन को एक नया उद्देश्य मिलता है।
👉कर्म किसी भी कार्य को बिना किसी स्वार्थ के, निष्कलंक रूप से करना चाहिए
👉 ज्ञान आत्मा की सत्यता को समझना और उसे परमात्मा से जोड़ना चाहिए।