लकड़हारे की कहानी - Lakadhare ki Kahani in Hindi

     लालची लकड़हारा   Lakadhare ki kahani


 बहुत समय पहले की बात है छोटे से गांव में एक निर्धन लकड़हारा रहता था उसका नाम राजू था। उन लड़कियों को बेचकर के अपना गुजारा करता था लेकिन रामू के मन में हमेशा एक लालच था कि वह और पैसे कमाए वह सोचता अगर मेरे पास बहुत सारा धन होता तो मैं आराम से अपनी जिंदगी जीता और आराम से राहत एक दिन जब रामू जंगल में लड़कियां काटने गया और जब वह लड़कियां काट रहा था

 तब उसने देखा कि एक पेड़ के नीचे चमकती हुई कोई एक चीज पड़ी है तो वहां पर वह जाकर उसे चीज को देखा तब उसने एक सोने का मटका रखा था रामू बहुत खुश हुआ क्योंकि वह जानता था कि इस मटके में बहुत सारा सोना भरा हुआ है और वह मटका उठाकर उसे जोर-जोर से घूमने लगता है 



और उसके मन में फिर विचार आता है कि क्या होगा अगर मैं इसे और भी सोना हो मुझे इस और भी खोलना चाहिए रामू ने मटके को और खोलने की कोशिश की लेकिन जैसे ही उसे और खोला तो मटका अचानक से गायब हो गया और रामू हैरान हो गया

 और उसे अपने पूरे जंगल में मटके को ढूंढा लेकिन वह मटका कहीं नहीं मिला रामू कुछ देर पछताए क्योंकि रामू की लालच की वजह से वह सच्चे लाभ से वंचित रह गया और वह खाली हाथ अपने घर को आ गया 

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संदेश:-  लालच कभी भी नहीं करना चाहिए क्योंकि उसका परिणाम हमेशा गलत ही होता है संतोष और ईमानदारी से ही सच्ची खुशी मिलती है हमें जितना मिल जाए उतने में ही हमें संतोष कर लेना चाहिए

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