Dosti ki Kahani
कहानी आरंभ:-
एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला हुआ गाँव के सभी लोग इस मेले में गए थे और रामु और श्यामु भी वहाँ पहुँचे मेले में बहुत सारी दुकानों के साथ झूले मिठाइयाँ खेल और बहुत सारी आकर्षक चीजें थीं दोनों दोस्त खुशी-खुशी मेले का आनंद ले रहे थे
तभी उन्हें एक खेल के स्टॉल पर एक प्रतियोगिता दिखाई दी प्रतियोगिता में जो भी सबसे तेज दौड़ेगा उसे शानदार इनाम मिलेगा। रामु और श्यामु ने सोचा क्यों न हम इस प्रतियोगिता में भाग लें दोनों ने भाग लेने का निर्णय लिया
प्रतियोगिता शुरू हुई और दोनों दोस्त दौड़ने लगे लेकिन श्यामु ने रास्ते में देखा कि सामने एक छोटा सा पत्थर पड़ा था उसने सोचा कि अगर वह पत्थर हटा दे तो वह आसानी से जीत जाएगा श्यामु ने जल्दी से पत्थर को हटा दिया और फिर तेजी से दौड़ने लगा लेकिन रामु ने ऐसा नहीं किया। वह धीरे-धीरे दौड़ रहा था और पत्थर के पास से बिना किसी छल के निकल गया
जब दोनों की दौड़ खत्म हुई तो श्यामु ने देखा कि रामु पहले ही आ चुका था और प्रतियोगिता जीत चुका था श्यामु ने रामु से कहा तुमने दौड़ते समय पत्थर को क्यों नहीं हटाया तुम्हें तो यही करना चाहिए था ताकि तुम और जल्दी जीत सको
रामु हंसते हुए बोला श्यामु जीतने के लिए हमें किसी को धोखा नहीं देना चाहिए मैंने पत्थर को हटाया नहीं क्योंकि मैं जानता था कि मुझे अगर मेरी मेहनत से जीतनी है तो सही रास्ते पर चलना पड़ेगा
श्यामु थोड़ा चुप हो गया उसे एहसास हुआ कि सच्ची जीत वही होती है जो ईमानदारी से मिलती है उसने रामु से माफी माँगी और कहा तुम सही कह रहे हो दोस्त। अब मैं सच्ची दोस्ती और ईमानदारी को समझ गया हूँ
उस दिन श्यामु ने सीखा कि सच्ची दोस्ती और जीवन में सफलता सिर्फ मेहनत और ईमानदारी से ही प्राप्त होती है वह रामु का दोस्त बना रहा और अब वह भी किसी भी काम में धोखा देने से बचता था
कहानी का संदेश:- सच्ची दोस्ती और सफलता ईमानदारी से ही मिलती है। हमें हमेशा सही रास्ते पर चलकर मेहनत करनी चाहिए क्योंकि छल से मिली जीत कभी कुछ पल के लिए होती है
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