👉बहुत समय पहले की बात है एक घने जंगल में तेज दौड़ने वाला खरगोश और धीमी गति से चलने वाला कछुआ रहता था खरगोश को अपने तेज चलने पर बहुत ज्यादा घमंड था लेकिन कछुआ धीमी गति से चला था एक दिन खरगोश ने कछुए को मजाक उड़ाते हुए कहा
कि तुम तो बहुत ही धीरे चलते हो मुझे नहीं लगता कि तुम किसी भी दौड़ या किसी भी भाग में तुम हिस्सा ले सकते हो कछुए को यह सुनकर थोड़ी देर चुप रहा फिर उसने कहा क्या तुम मुझे दौड़ का मुकाबला करना चाहते हो खरगोश हंसते हुए बोला तुमसे दौड़ यह तो जैसे बदख को उड़ाने की बात हो गई फिर उसकी चुनौती स्वीकार कर ली
एक अगली सुबह फिर दौड़ का दिन था और सभी जानवर इकट्ठा हुए दौड़ तय करनी थी एक बड़े पेड़ से लेकर के एक बड़ी पहाड़ी तक पहुंचना था शेर ने दोनों के आगे एक रेखा खींच दी फिर इसके बाद शेर ने जैसे ही शुरू कहा वैसे ही खरगोश तेजी से दौड़ना शुरू कर दिया और कछुआ धीरे-धीरे कर चला शुरू कर दिया कुछ समय बाद खरगोश ने देखा कि कछुआ दिखाई नहीं दे रहा है
और फिर वह सोचा कि मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं तो जैसे ही खरगोश आराम करने के लिए एक पेड़ की डाली पर बैठता है तो वहां पर इतनी अच्छी हवा और इतनी अच्छा मौसम था कि वहीं पर वह सो जाता है कछुआ ने अपनी धीरे-धीरे गति से मंजिल की ओर बढ़ता रहा
और धीरे-धीरे बढ़ाते हुए वह बहुत आगे निकल गया और जब खरगोश से थोड़ी देर बाद उठा तो उसके आसपास कोई नहीं था फिर वह सो गया फिर जब वह जगह तो उसने सोचा कि मैं अब चलता हूं तभी वह जब वहां जाता है तो है देखता है कि कछुआ वहां पर जीत चुका होता है
तभी कछुआ मुस्कुराते हुए कहा सिर्फ तेज दौड़ने से सफलता की कुंजी नहीं मिलती है स्थिरता और धर्म और मेहनत भी जरूरी होती है खरगोश ने उसकी बात मानी और कछुए ने कहा हमें घमंड कभी भी नहीं करना चाहिए वह चाहे किसी भी चीज का हो
निष्कर्ष:-
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जब तक सफलता नहीं प्राप्त हो जाती तब तक हमें निस्वार्थ भाव से काम करता चाहिए
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